Header Ads

Shri Durga Chalisa Lyrics Hindi Image Paath - दुर्गा चालीसा आरती लिखीत पाठ हिंदी में : श्री दुर्गा चालीसा

Shri Durga Chalisa Lyrics Hindi Image Paath - दुर्गा चालीसा आरती लिखीत पाठ हिंदी में : श्री दुर्गा चालीसा

Shri Durga Chalisa Lyrics Hindi Image Paath

दुर्गा चालीसा आरती लिखीत पाठ हिंदी में 

Shree Durga Chalisa 

श्री दुर्गा चालीसा 

महत्व, विधी, मंत्र एवम् पूजन Vidhi, Mantra, Pujan 

      जय माता दी, भक्तो ! आइये जानते है की हम इस "Shri Durga Chalisa Hindi Lyrics Image Pic Jpg, Aarti - श्री दुर्गा चालीसा चित्र" इस में क्या क्या जानने वाले है.  माता जगदंबा की चालीसा श्री दुर्गा चालीसा Shri Durga Chalisa यह परम सुख, शांती, समृद्धी और भक्ती प्रदान करने वाली है. माता ेके भक्त को चाहीये की वह स्नानादी से निवृत्त हो, माता के फोटो या मुर्ती के समक्ष फुल अर्पण करे तत्पश्यात आसन बिछाकर, धुप दिप लगाकर माता को वंदन करे और नवार्ण मंत्र के उच्चारण के पश्‍चात माता की चालीसा Mata Ki Chalisa का पाठ करे. 

नवार्ण मंत्र Navarna Mantra इस प्रकार है 

॥ ॐ ऐं र्‍हिं क्लिं चामुण्डायै विच्चै ॥
॥ om aim hreem kleem chamundaye vichche ॥

भक्ती से प्रेरित व्यक्ती को ममतामयी मॉ जगदंबा Maa Jagdamba के चरणो में शिश नवाकर हमेशा श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिये. माता जगदंबा Mata Jagdamba की सारी महिमा का बखान श्री दुर्गा चालीसा में किया गया है. माता दुर्गा के इस चालीसा पाठ महत्व यह नवरात्री Navratri के दौरान सर्वोच्च माना गया है. नवदुर्गा Navdurga की पुजा करते वक्त इस चालीसा का नियमीत पाठ किया जाता है. इसी के साथ ही अगर भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ती के द्वारा रोज दुर्गा पुजा कर इस चालीसा का नित्यनियम से पाठ करे तो उसके सभी दु:खो को मा जगदंबा हर लेती है. 

          शास्त्रो के साथ ही साधू महात्मों द्वारा भी चालीसा पाठ का विशेष महत्व बताया जाता है. मॉ जगदंबा के इस दुर्गा चालीसा पाठ करने वाले भक्त को निश्‍चित ही आत्मसंतुष्ठी की प्राप्ती होती है और अच्छाई की ओर जाने की प्रेरणा भी मिलती है. चालीसा में माता दुर्गा को त्रिशक्ती Trishakti अर्थात माता महासरस्वती, Mahasaraswati माता महालक्ष्मी Mahalaxmi और माता महाकाली Mata Mahakali का रुप मानकर उनकी महिमा का वर्णन किया गया है. इस कारण दुर्गा चालीसा का पाठ करने वाले भक्त को माता के इन तिनो रुप का आशिर्वाद प्राप्त होता है. 

भारतीय संस्कृति में देवी दुर्गा की महाशक्ति और महिमा को प्रतिष्ठित करने के लिए दुर्गा चालीसा एक प्रमुख पौराणिक चालीसा है। यह एक स्तुति है जिसमें माता दुर्गा की विभिन्न रूपों, आदिशक्ति और दिव्य गुणों का वर्णन किया गया है। दुर्गा चालीसा के पाठ से माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को शक्ति, सुरक्षा और आनंद का अनुभव होता है।

दुर्गा चालीसा के पाठ का अभ्यास करने से भक्तों को दुर्गा माता के सामर्थ्य, सुंदरता, शक्ति और आदिशक्ति का अनुभव होता है। इस चालीसा का पाठ भक्तों को शक्ति, सामर्थ्य, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति का अवसर देता है। यह मंत्र भक्ति, श्रद्धा, और आनंद का स्रोत है और दुर्गा माता के प्रति आदर्श भावना को प्रकट करता है

     बहोत सारे भक्तगण माता की पुजा करने के लिये और उन्हे प्रसन्न करने के लिये देवी जागरण Devi Jagran या माता का जगराता Mara Ka Jagrata आयोजीत करते है. इस जागरण या जगराते मे विशेषकर दुर्गा चालीसा होती है. 

ममतामयी माता को वंदन कर, प्रस्तूत है श्री दुर्गा चालीसा .... 

Durga Chalisa, Shri Durga Chalisa, Durga chalisa in Hindi, Durga chalisa lyrics in Hindi, Navarn Mantra
shri Durga Chalisa lyrics in Hindi pic image


नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥

शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥

तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ 

रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ 

क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥

मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ 

केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ 

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥

रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ 

अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ 

शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ 

शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥

देवीदास शरण निज जानी ।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

॥दोहा॥ 

शरणागत रक्षा करे, भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में, मातु लिजिये अंक ॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥

Jai Mata Di

-------------------NEXT--------------------

No comments

Powered by Blogger.