नाग पंचमी : पूजा, विधि, मंत्र, स्तोत्र - Nag Panchami : Date, Puja, Mantra, Kab hai ?
Nag Panchami - Date, Puja, Mantra
नाग पंचमी - पूजा, विधि, मंत्र, स्तोत्र
नाग पंचमी 2023 - Nag Panchami 2023
हिंदू धर्म में सिर्फ देवी-देवताओं, साधु-संतों की ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों, जानवरों और पेड़ों की भी पूजा की जाती है। यह उपासना पद्धति एक विज्ञान है जो इन उपासना साधनों के माध्यम से आम आदमी को यह विश्वास दिलाती है कि संसार का प्रत्येक तत्व कितना महत्वपूर्ण है। इसी के एक भाग के रूप में, नाग पंचमी का त्योहार पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। तो चलिये नाग पंचमी : पूजा, विधि, मंत्र, स्तोत्र - Nag Panchami : Date, Puja, Mantra, Kab hai ? : नाग पंचमी 2023 - Nag Panchami 2023 इस लेख के माध्यम से लेते है संपूर्ण जानकारी.
नाग पंचमी 2023 कब है ?
नाग पंचमी 2023 : सोमवार 21 अगस्त
पूजा मुहूर्त : सुबह 05:53 से 08:30 तक
अभिजित मुहूर्त : सुबह 11:58 से 12:50 तक
पंचमी तिथि आरंभ : 00:24 (21 अगस्त को रात्री में १२ बजकर २४ मिनट से)
पंचमी तिथि समाप्त : 02.02 (22 अगस्त की रात्री में २ बजकर ०२ मिनट तक)
(उपरोक्त समय में दिन की सुरवात रात्री को १२.०० मानकर बताई गई है)
कई जातियों में पितरों को साँप के रूप में पूजने की प्रथा है। जी हां, नागाओं को देवता का दर्जा दिया जाता है। नागपंचमी का त्यौहार हमारे देश के सभी भागों में मनाया जाता है। पंचमी की शुरुआत, समाप्ति और पूजा का समय ऊपर दिया गया है।
नाग एक ओर जहां भगवान महादेव के गले की शोभा बढ़ाते हैं, वहीं दूसरी ओर जगत के पालनकर्ता विष्णु भगवान की शय्या के रूप में भी कार्य करते हैं। नागराज वासुकी महादेव के गले का हार और शेषनाग भगवान विष्णु की शय्या बनकर अपना कर्तव्य निभाते हैं। इसीलिए प्राचीन काल से ही नागाओं की पूजा की जाती रही है, चाहे वे किसी भी संप्रदाय के हों, शैव हों या वैष्णव। गरुड़ पुराण के अनुसार नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से भक्त को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नाग देवता जमीन में रहते हैं, श्रावण मास शुरू होते ही ये सतह पर आ जाते हैं। श्रावण मास में देवाधिदेव महादेव की पूजा की जाती है। और क्योंकि महादेव नाग देवताओं के पूर्वज हैं, इसलिए श्रावण माह के पांचवें दिन नागपंचमी भी मनाई जाती है। साथ ही पंचमी, चाहे कोई भी महीना हो, उसका अधिपति नाग देवता माना जाता है।
नाग गायत्री मंत्र : Nag Gayatri Mantra
नाग-गायत्री मंत्र का जाप कालसर्प दोष निवारण के साथ-साथ राहु ग्रह की शांति के लिए भी किया जाता है।
ॐ नवकुलाय विद्मये विषदन्तै धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात् ।।
नाग पंचमी पूजा, विधि और व्रत
(Nag Panchami Puja Vidhi aur Vrat)
कई भावी भक्त वरुलास, नाग देवताओं या महादेव के मंदिर में जाते हैं और पूजा करते हैं। भारत के लगभग हर गाँव में, या तो गाँव में किसी के घर में, नागथाना नामक नाग देवता की पूजा का एक विशेष स्थान होता है। जिनके घर में नागथाना होता है, उनके कर्तापुरुष के कान में नाग देवता की चांदी या सोने की माला दिखाई देती है। ये संस्कृति का हिस्सा है. नाग पंचमी के दिन भक्त विभिन्न स्थानों पर जाते हैं और अपनी मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी पूजा (Nag Panchami Puja) करते हैं। कुछ भक्त कोरे कागज पर साँपों का चित्र बनाकर उनकी पूजा करते हैं। प्रसाद के रूप में विशेष रूप से दूध (बिना गरम किया हुआ), लाही और फूटाने रखा जाता है। इस दिन अपने रीति-रिवाज के अनुसार व्रत रखते हैं। शिव लिंग पर जल और दूध से अभिषेक किया जाता है, विशेषकर पितल के लोटे से ही अर्पित किया जाता है।
नाग देवता और ज्योतिष (Nag Devta aur Jyotish)
नाग और ज्योतिष का बहुत घनिष्ठ संबंध है। कुंडली में कालसर्प (Kalsarp) दोष व्यक्ति को घबरा देता है। महाराष्ट्र के नासिक जिले में भगवान महादेव के एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर में, इस दोष का निवारण कालसर्प पूजा द्वारा किया जाता है। कालसर्प मुख्यतः 12 प्रकार के होते हैं। कुंडली में राहु और केतु एक-दूसरे के आमने-सामने होते हैं, लेकिन जब कुंडली में सभी ग्रह एक ही दृष्टि में आ जाते हैं तो वह कुंडली कालसर्प दोष से युक्त मानी जाती है। कुंडली में सांपों को मारने से अगले जन्म में यह रोग उत्पन्न होने की बात कही गई है।
नाग पंचमी के दिन भूमि की खुदाई करना वर्जित है
नागाओं को देवता माना जाता है और इनका निवास स्थान जमीन के गड्ढे या वारुल में होता है। इसलिए नागपंचमी के दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती है। साथ ही नाग पंचमी के दिन कई भक्त अपने भोजन में दाल-चावल का प्रयोग नहीं करते हैं।
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