नवनाग स्तोत्र - Navnag Stotra In Hindi नव नाग स्तोत्र हिंदी में - Nav Nag Stotra नवनागस्तोत्रम् - Navnag stotram - Meaning of Navnag Stotra
नवनागस्तोत्रम् Navnagstotramनवनाग स्तोत्र Navnag Stotraनव नाग स्तोत्र Nav Nag Stotra
हिंदू धर्म में विविध जीव जंतू एवम् पशुओंको देवतातुल्य माना जाता रहा है. अनेक देवताओं के वाहन यह पशु या पक्षी ही है, जिस कारण उनका अपना एक विशेष महत्व भी है. इसी कडी में सर्प या नागों को विशेष महत्व दिया जाता है. नागों की विशेषकर पुजा की जाती है, उन्हे नागदेवता Nag Devta का रुप माना जाता है. अनेको जाती एवम् संप्रदाय में उन्हे देवता के रुपमें ही पूजा जाता है.
नागों की प्रार्थना हेतूही Navnag Stotra नवनाग स्तोत्र Nav nag Stotra की रचना हुई. इस स्तोत्र में नऊ नाग देवताओं Nau Nag Devta का उल्लेख किया गया है, उनकी स्तुती की गई है.
श्री नवनागस्तोत्रम्
Shree Navnag Stotra
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं |
शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा ॥ १ ॥
एतानि नव नामानि नागानाम् च महात्मनाम् |
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषतः |
विषाद् भयं तस्य नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ २ ॥
इति श्री नवनागस्त्रोत्रं सम्पूर्णं |
नवनागस्तोत्र का अर्थ
Meaning of Navnag Stotra
अनंत, वासुकी, शेषनाग, पद्मनाभ, कंबल, शंखपाल, धृतराष्ट्र और तक्षक यह नाग देवता के प्रमुख नौ नाम माने गये है. जो भी व्यक्ती या भक्त नित्य सायंकाल में विशेष कर प्रात:काल में इस स्तोत्र का पठन करता है उसके भय का नाश होकर उसे विजय प्राप्त होती है.
॥ जय श्री नागदेवता ॥
॥ Jai Shree Nag Devata॥
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