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Nirjala Ekadashi : Vrat, Vidhi, Katha in Hindi : निर्जला एकादशी : व्रत, विधी, कथा

Nirjala Ekadashi : Vrat, Vidhi, Katha in Hindi : निर्जला एकादशी : व्रत, विधी, कथा


निर्जला एकादशी : व्रत, विधी, कथा  

Nirjala Ekadashi : Vrat, Vidhi, Katha in Hindi 

ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का उपवास किया जाता हैं. पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में सबसे पहले भीम ने इस व्रत को किया था. इसलिए इसे भीमसेन एकादशी (Bhimsen Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है. चलिए जानते है इस निर्जला एकादशी के पूजा, विधि, व्रत और कथा (Nirjala Ekadashi : Vrat, Vidhi, Katha in Hindi) के बारे में. इस व्रत में पानी पीना भी वर्जित होता हैं इसलिये इस व्रत को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता हैं. 

निर्जला एकादशी पुजा विधी
Nirjala Ekadashi Puja Vidhi 

निर्जला एकादशी की पुजा विधी (Nirjala ekadashi puja vidhi ) बडी ही सरल है. प्रात: स्नानादि से निवृत्त हो भगवान श्री हरी विष्णू की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करे. उपरांत भोग लगाए. आचमन के पश्‍चात धूप, दिप, चन्दन आदी सुगंधीत वस्तूओं से भगवान श्रीहरी की आरती करे. अब जैसा कि इस एकादशी का नाम हि है, तो इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है. एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीए व्रत किया जाता है.  

निर्जला एकादशी की कथा
Nirjala Ekadashi Vrat Katha

महाभारत काल में एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- ‘’हे परम आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन मैं पूरा दिन भूख बरदाशत नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है.

        भीम के विनम्र अनुरोध पर वेद व्यास जी ने प्रतिउत्तर में कहा- ‘’पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है. जो भी इंसान एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीए रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है.  महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत (Bhimsen Nirjala Ekadashi Vrat) का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए.

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