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Lapsi Tapsi Ki Katha / Kahani - लपसी तपसी की कथा / कहानी

Lapsi Tapsi Ki Katha / Kahani - लपसी तपसी की कथा / कहानी


लपसी तपसी की कथा / कहानी 

Lapsi Tapsi Ki katha / kahani 

        हर व्रत पूजा आदी के बाद संपूर्ण पूजा और व्रत के फल प्राप्ती हेतू लपसी तपसी की कथा / कहानी (Lapsi Tapsi Ki katha / kahani) बोली जाती है. 

        एक लपसी (Lapsi) था , एक तपसी (Tapsi) था. तपसी तो भगवान की तपस्या करता था और लपसी सवा सेर की लपसी बना कर उसका भोग लगाकर जीम लेता. एक दिन दोनों लड़ने लगे. लपसी बोला में बड़ा , तपसी बोला में बड़ा. इतने में नारदमुनि आये और बोले तुम क्यों लड़ रहे हो ? तो लपसी ने कहा मैं बड़ा हूं और तपसी ने कहा मैं बड़ा हूँ. तपसी बोला मैं सारे दिन भगवान की पुजा करता हूँ.  यह सुन नारदजी ने कहा मैं तुम्हारा फैसला कल करुंगा.

            दुसरे दिन लपसी, तपसी नहाकर आये तो नारद जी ने सवा करोड़ का मुंदडा उनके आगे फेक दीया. लपसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया और अपनी लापसी बनाने मे लग गया. तपसी तपस्या करने बैठा तो उसे सवा करोड़ का मुंदडा दिखाई दिया और उसने अपने घुटने के नीचे दबा लिया और तपस्या करने लगा. लपसी लापसी बनाकर उसका भगवान के भोग लगाकर जीमने बैठ गया.

        इतने में नारद जी आये तब दोनों से पूछा कि कौन बड़ा हैं ? फिर तपसी ने कहा मैं बड़ा हूँ. नारदजी बोले तेरा घुटना उठा तो उसके नीचे सवा करोड़ का मुंदडा निकला. तब नारद जी बोले कि ये सवा करोड़ का मुंदडा तुने चुराया है इसलिये तुझे तेरी तपस्या का फल नही मिलेगा.  

        तब तपसी बोला हे ! नारद मुनि मेरी तपस्या का दोष कैसे दुर होगा ?  नारद जी ने कहा “ रोटी बना कर बाटया नहीं बनाया तो फल तुझे होगा. ब्राह्मण जीमा कर दक्षिणा नही दे तो फल तुझे होगा. दिया से दिया जलावे तो फल तुझे मिलेगा. सब व्रत त्यौहार की कहानी सुनने के बाद तेरी कहानी नही सुने तो फल तुझे होगा. 

लपसी (Lapsi) को फल लपसी न होज्यो , तपसी (Tapsi) को फल तपसी न होज्यो , म्हाकी कहानी कथा को फल म्हाने होज्यो. 

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