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Karwa Chauth Vrat Katha Hindi - करवा चौथ व्रत कथा

Karwa Chauth Vrat Katha - करवा चौथ व्रत कथा

Karwa Chauth Vrat Katha
करवा चौथ व्रत कथा 

वैसे तो Karwa Chauth Vrat Katha करवा चौथ व्रत कथा से संबंधीत अनेको कथाएं प्रचलीत है. लेकीन सर्वाधीक मान्यता, शास्त्रो मे दि गई सात भाईयों के बहन की कथा को दी गई है. 

एक समय सात भाईयों की एक बहन थी. उसका विवाह राजा से हुआ. विवाह के प्रथम वर्ष की करवा चौथ को वह अपने मायके मे थी. परंपरा के अनुसार उसने करवा चौथ का व्रत रखा, लेकीन दिनभर निर्जल होने की वजह से प्यास के कारण उसका हुआ हाल उसके भाईयों को देखा नही गया. 

पुजा के पश्‍चात चंद्रदेव के दर्शन के लिये वह बैठी थी. अत्याधीक लाडली होने के कारण भाईयों ने उसे पेड के पिछे से चंद्रमा की नकली छाया का दर्शन करवाया. बहन को लगा यही चंद्रमा है और उसने दर्शन कर व्रत को समाप्त कर दिया. 

लेकीन तभी से उस कन्या के वर यानी के राजा का स्वास्थ्य गिरने लगा. यह समाचार सुनते ही वह अपने पती को देखने लिये निकल पडी. 

रास्ते मे रानी को भगवान महादेव और माता पार्वती के दर्शन हुये. माता पार्वती ने उसे बताया की उसके पती की मृत्यू हो चुकी है और वह स्वयं इसका कारण है. पता चलने पर रानी ने माता पार्वती को क्षमा करने की याचना की और कहा की भाईयों के अत्याधिक प्रेम के कारण ही ऐसा हुआ है, कुछ मार्ग बताये. 

तो दयालू माता पार्वती ने उसे कहा की अगर वह पुरे विधी विधान के साथ करवा चौथ का व्रत करे, तो निश्‍चित ही उसका पती जिवीत हो जायेगा. रानी ने माता से व्रत की पुरी विधी और नियम की जानकारी ली. और माता के बताये नुसार पूर्ण व्रत किया, जिसके पश्‍चात उसका पती जिवीत हो उठा. चौथ माता के व्रत की यह Karwa Chauth Vrat Katha करवा चौथ व्रत कथा है. 

जानिए - करवा चौथ २०२० व्रत नियम पुजा विधी और कथा

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