Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi - हनुमानाष्टक : हनुमान अष्टक
Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi
हनुमानाष्टक : हनुमान अष्टक
अद्भुत शक्ति और भक्ति का प्रतीक
हिन्दू धर्म में हनुमानजी को शक्ति, साहस, और भक्ति के देवता के रूप में माना जाता है। हनुमानजी कि महिमा को प्रतिष्ठित करने के लिए, हनुमान अष्टक एक प्रमुख माध्यम है जिसके द्वारा हनुमानजी की स्तुति की जाती है। हनुमान अष्टक के पाठ से भक्तों को भक्ति, शक्ति, सुरक्षा, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। प्रस्तुत लेख Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi - हनुमानाष्टक : हनुमान अष्टक के द्वारा आईए जाणते है हनुमान अष्टक का महत्व एवं उपयोग ।
हनुमान अष्टक का महत्व :
हनुमान अष्टक एक प्रमुख पौराणिक रचना है, जिसका महत्व अत्यंत महान है। इस अष्टक के पाठ करने से भक्तों को हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें भक्ति, साहस, सुरक्षा, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह मंत्र भक्तों को शक्तिशाली और निःसंकोच बनाता है और उन्हें सभी दुःखों और आपदाओं से संरक्षण प्रदान करता है।
उपयोग और महत्व :
हनुमान अष्टक का पठ भक्ति के साथ किया जाता है और भक्तों को भगवान हनुमान की पूजा, आराधना और आदर्शों में सहायता प्रदान करता है। यह अष्टक भक्तों को हनुमानजी की आदिशक्ति, साहस, और शक्ति की प्राप्ति करता है और उन्हें दुष्टता, दुर्भाग्य, और कष्ट से मुक्ति मिलती है।
हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) एक प्रमुख पौराणिक ग्रंथ है जो हनुमानजी की महिमा, शक्ति, और भक्ति की प्रशंसा करता है। इसे पठने से भक्तों को भक्ति, साहस, सुरक्षा, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह अष्टक भक्ति, आदर, और निष्ठा का प्रतीक है और हनुमानजी की प्रति समर्पण को प्रकट करता है। इसे प्रेम और श्रद्धा के साथ पाठ करने से हम अपने जीवन में विजयी बनते हैं और भक्ति, शक्ति, सुरक्षा, और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं
हनुमान अष्टक
बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों|
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो|
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो|
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो|
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो|
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ २ ॥
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो|
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहॉं पगु धारो|
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो|
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मरो|
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ४ ॥
बान लाग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सूत रावन मारो|
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो|
आनि सजीवन हाथ दिए तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ५ ॥
रावन जुध अजान कियो तब,
नाग कि फॉंस सबै सिर डारो|
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो ख
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ६ ॥
बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो|
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो|
जाये सहाए भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो|
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो|
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होए हमारो
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ८ ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर|
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥
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