गोगा नवमी क्या है और कब मनाते है ? - Goga Navami Jaharveer baba Gugaji
Jaharveer Baba - जाहरवीर बाबा
गोगा नवमी क्या है और कब मनाते है ?
What is Goga Navami & when celebrated
उत्तर भारत में विशेषकर, राजस्थान में कुछ लोक देवता को बहोत माना जाता है और देवताओं के समानही उनकी पुजा और आराधना भी कि जाती है. इसी कडी में राजस्थान में गोगाजी देवता का जन्मदिन कृष्ण जन्माष्टमी के दुसरे दिन की नवमी को गोगा नवमी (Goga Navami) या गुगा नवमी (Guga Navami) के तौर पर मनाया जाता है. इन्हे जाहरवीर बाबा गोगा जी (Jaharveer Baba Goga ji) के नाम से भी जाना जाता है. उनका जन्मस्थल चूरू जिले के ददरेवा गांव को माना है. उनका समाधी स्थल राजस्थान के हनुमानगढ जिले के शहर गोगामेडी (Gogamedi) को माना गया है. इसीलिये भादो कृष्णपक्ष की नवमी को यहा गोगाजी देवता का मेला भी लगता है. इन्हे हिंदू और मुसलमान दोनो ही धर्म के लोग पुजते है. गोगाजी को सांपो का देवता भी माना गया है. इसलिये इस दिन नागो की पूजा की जाती है.
इस वर्ष 2021 मे कृष्ण जन्माष्टमी 30 ऑगस्ट की है, उसके दुसरे दिन नवमी के दिन गोगा नवमी का उत्सव मनाया जायेगा.
गोगाजी के जन्म की कहानी
Gogaji Ke janm ki Kahani
मान्यता है की, गोगाजी की माताजी बाछल देवी (Bazhal Devi) निसंतान थी. संतान प्राप्ती हेतू उन्होने गोगा मेडी पर तपस्या शुरु की. कुछ समय पश्चात वहॉ पर नाथ संप्रदाय के सर्वोच्च गुरुवर्य गोरखनाथजी पधारे. माता बाछल देवी उन्हे शरणागत हुई तब प्रसन्न हो गोरखनाथजी (Guru Gorakhnath) ने उन्हे पुत्र प्राप्ती का वरदान दिया और अभिमंत्रीत किया हुआ गुगल नामक फल ग्रहण करने को दिया. उन्होने यह भी आशिर्वाद दिया की, उनका पुत्र नागों को वश में रखने वाला और सिद्ध पुरुष होगा. इस पश्चात माता बाछल देवी को पुत्ररत्न की प्राप्ती हुई और उनका नाम गुग्गा रखा गया.
गोगा नवमी की पुजा विधी
Goga Navami Puja widhi
मिट्टी की श्री गोगाजी की मुर्ती घरपर लाये. पुजा के पुर्व स्नानादी से निवृत्त हो, मुर्ती की रोली, चावल, पुष्प आदी के द्वारा पुजा करे. प्रसाद (Prasad) के तौर पर गोगाजी को खिर-चुरमा और गुलगुले का विशेषकर भोग लगाया जाता है. नागदेवता की पुजा करने साथ ही गोगाजी की कहानी पढी और सुनी जाती है. विशेषकर बच्चो की सही सलामती गोगाजी से पुजन में कि जाती है.
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