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कामिका एकादशी पुजा विधी व्रत कथा - kamika Ekadashi puja vidhi vrat katha hindi me

kamika Ekadashi puja vidhi vrat katha hindi me,


कामिका एकादशी पुजा विधी  व्रत कथा  
Kamika Ekadashi puja vidhi vrat katha hindi me

सावन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी कामिका एकादशी kamika Ekadashi  कहलाती है. इसे पवित्रा (Pavitra) नाम  से भी जाना जाता है. चलिए जानते है इस कामिका एकादशी के पूजा विधि एवं व्रत कथा के बारे में. Putrada Ekadashi puja vidhi vrat katha hindi me

कामिका एकादशी पुजा विधी
kamika ekadashi puja vidhi 

कामिका एकादशी की पुजा विधी (kamika ekadashi puja vidhi ) बडी ही सरल है. प्रात: स्नानादि से निवृत्त हो भगवान श्री हरी विष्णू की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करे. उपरांत भोग लगाए. आचमन के पश्‍चात धूप, दिप, चन्दन आदी सुगंधीत वस्तूओं से भगवान श्रीहरी की आरती करे. 

कामिका एकादशी की कथा
kamika ekadashi vrat katha

प्राचीन काल में किसी गांव में एक ठाकुर रहा करते है. वह बडे ही क्रोधी स्वभाव के थे. एकबार उनका गांव के एक पंडितजी के साथ झगडा हो गया और क्रोधवश ठाकुर के हातो उन पंडितजीकी हत्या हो गई. सारे घटनाक्रम को देखकर उसे बडी ग्लानी हुई और उसने उस का प्रायश्‍चित करने की ठाणी. 

उपाय प्राप्ती हेतू ठाकुर एक ज्ञानी महात्मा के पास पहुचा. उनसे उसने सारी बाते बताते हुये इस पाप से निवृत्त होने का उपाय बताने की विनती की. इस पर महात्माजीने उसे कामिका एकादशी kamika ekadashi का व्रत करने की आज्ञा दी. ठाकुर ने कहे नुसार कामिका एकादशी का व्रत पुरी निष्ठा के साथ किया. 

रात्री में स्वप्न में उसे भगवान श्रीहरी के दर्शन हुये और भगवान ने उसे कामिका एकादशी के व्रत के फल अनुसार पाप नष्ट हो जाने की बात कही साथ ही उसे उस ब्राम्हण की तेरहवी करने का भी आदेश दिया. जिससे वह पुर्णरुपसे इस ब्रम्हहत्या से छुटकारा पा सकेगा. ठाकुर ने बडे ही आदरभावसे प्रायश्‍चित हेतू पुरे विधी विधान के साथ उस ब्राम्हण की तेरहवी का कार्यक्रम किया और मृत्यूपरांत वैकुंठधाम को प्राप्त हुआ. 

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